बेवफ़ाई
किसी दिन मेरे लिये तुम, विष को अमृत समझ पी जाती थी ।
मेरी रत्ती सी खुशी के लिये, अपने हर ग़म को सह जाती थी ॥
आज क्या हो गया है तुम्हें, मैं निशि-वासर यही सोचता हूँ ।
तेरी बेवफ़ाई में ज़ख्मों के, अविरल अश्कों को पोंछता हूँ ॥
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