रविवार, 2 अक्तूबर 2016

बेवफ़ाई.....



बेवफ़ाई
किसी दिन मेरे लिये तुम, विष को अमृत समझ पी जाती थी ।
मेरी रत्ती सी खुशी के लिये, अपने  हर ग़म को सह जाती थी ॥
आज क्या हो गया है तुम्हें, मैं निशि-वासर यही सोचता हूँ 
तेरी बेवफ़ाई में ज़ख्मों के, अविरल अश्कों को पोंछता हूँ ॥
 *******

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें