रविवार, 25 सितंबर 2016

रूह-रत्न


     

प्यार प्रेम है प्यार समर्पण,प्यार है दिल का गहना । 
                              प्यार अमर जीवन का राज है, प्यार बिना क्या जीना ॥
प्यार निशा है प्यार दिवस है, प्यार में बेहद अपनापन है। 
                         प्यार बिना जीवन नीरस है, प्यार रहित सब सपनापन है। 
*********

तुमसे मिलकर ज़िंदगी, जीने के क़ाबिल बन गई ।
                                     मृतप्रायः मन की तमन्नायें, एक पल में जैसे जी गई॥
एहसास खुद के होने का, जाने कब हम थे खो चुके। 
                               तुम मिले तो मरती की धड़कन को जैसे की साँसें मिल गई ॥

********

दुःखों की धूप आये तो, सुखों की छाँव मिल जाए । 
                                    लड़खते कदमों को किसी राह पर, हमसाया मिल जाए॥
कभी जीवन सफर में आये ना, बाधाओं के बादल,
                                    तुम कदम रखो उस तरफ सुहाना मौसम हो जाए ॥
******

तुम्हारी पलकों पर अश्कों के अक्स, अच्छे नहीं लगते । 
                               तुम्हारे चहरे पर उदासी के भाव, सच्चे नहीं लगते ॥
तुम हर पल मुस्कान बिखेरती, रहा करो मेरी रहबर, 
                        तुम्हारी खामोशी में दुनियाँ के, हँसी मंज़र अच्छे नही लगते ॥
  
                                     ******* 




 

गुरुवार, 15 सितंबर 2016


मंगलाचरण

प्यारे दोस्तों, 
'अनोखे एहसास' ब्लॉग के शुभारम्भ के अवसर पर हमारी सांस्कृतिक परम्परा के अनुरूप मैं सर्वप्रथम विघ्नविनाशक, बुद्धिदेव, रिद्धि-सिद्धि-दाता, सुमुखाय, गजानन गणेश का स्मरण करता हूँ। माँ सरस्वती, शारदा, वाणी, गिरा, वागीश, ईश्वरी, वीणा-पाणि को नमन करता हूँ। मेरे सर्वप्रथम गुरु, मेरी माँ और पापा को प्रणाम करता हूँ। अपने समस्त शिक्षकों, अनन्य मित्रों और स्नेहीजनों का आशीर्वचन लेता हूँ। 

'अनोखे एहसास' को आरम्भ करने का मेरा उद्देश्य यह है कि- मैं इस ब्लॉग के माध्यम से आपके समक्ष, कुछ रुहानी एहसासों को साहित्यिक सानंद के साथ समर्पित कर सकूँ। मुझे मुख्यतः 'शृंगार रस' में लिखना बहुत अच्छा लगता है। लेकिन मैं कोशिश करुंगा, कि साहित्य के सभी रसों पर अपनी लेखनी का फ्लेवर(नवस्वाद) डाल सकूँ और आपकी साहित्यिक आनंद की पिपास को तृप्त कर सकूँ। लेकिन साथ ही इस साहित्यिक यात्रा में मुझे आपके सतत-साथ और सार्थक संवाद की आवश्यकता रहेगी। मैं आपसे वादा करता हूँ कि आपके दिल की बात, आप ही के शब्दों में रखने की भरसक कोशिश करुंगा। आशा है, मुझे आपका प्यार, स्नेह और आशीर्वाद निरंतर मिलता रहेगा। जैसा मैनें कहा मुझे 'शृंगार-रस' में लिखना पसंद है, इसीलिये मैं इस ब्लॉग की शुरुआत शृंगार के ही एक बंध के साथ करना चाहूँगा:- 

"स्मृति-प्याले में तेरी यादों की, जब मदिरा छलकती है। 
                                                              रूह के प्रेम-पयोधि में, मिलन-तरंग उछलती है ॥ 
तेरी मासूमियत सी मुस्कान, जब आँखों में उतरती है।
                                                              लिखने को दिल के जज़्बात, विवश लेखनी मचलती है॥"