तेरी यादों के साये में
तेरी यादों के साये में, मैं दुनियांको भूल जाता हूँ ।
ग़मों के घने अंधेरे से, तेरी पलकों को सजाता हूँ॥
अंधेरी रात से चुन-चुन, चमकीले सितारे चुराता हूँ ।
सहेज़े हाथ पर उनको, तेरे नयनों
से मिलाता हूँ ।।
कभी इनको कभी उनको, विह्लता में निरखता हूँ ॥
तेज़ किन में अधिक है मैं, यही पल-पल परखता हूँ ।
लख-लख कर लाखों बार, परस्पर तुलना करता हूँ ।
हर बार तुम्हारे ही नयनों को, अत्युत्तम पाता हूँ ॥
तुम्हारे चक्षु- मोती, तो स्वयं प्रकाशवान है।
गहराइयों में इनकी मैं, नख-शिख तक डूब गया।
प्रेम पीगी पलकों की छाँव, तले दुनियां को भूल गया ॥
बैठकर अमावस रजनी में, पवन
से बातें करता हूँ।
तुमसे छेड़खानी करने को, उसको फुसलाता रहता हूँ ॥
तुम तीव्रगामी बन पवन, खोलो उनकी पलकों के रोम।
प्रतिबिम्बित चक्षु- हीरे से,
झंकृत होगा संपूर्ण व्योम ॥
तेरे नयनों की प्रखरता से, धरारौशन हो जायेगी।
छटेंगी कालिमा मन की, रूह पावन हो जायेगी ॥
तुम्हारी दृगम्बु- दृष्टि में, ये
दुनियाँ राह खोजेगी ।
चलेगीप्रेम के पथ पर, अपनी मंज़िल को पा लेगी॥
दुआएं करता हूँ बहारों से, खिला दो कुसुम कली-कली ।
कि महके मोहक खुशबू से, मेरी प्रियतमकी गली गली ॥
सुगंधित समीर सांसों से, जब उसके दिल में उतरेगी ।
धड़केगा दिल और भी तेज़, वो
मेरी याद में तड़पेगी ।।
विकल लिखने लगेगी खत, सारी रात वो जागेगी ।
शब्दकोश-सिंधु से शब्द-मणि, चुन-चुन कर छांटेगी ॥
जो दिल को सुकून दे सके, वो हँसी अल्फ़ाज़ लिखेगी ।
तड़पते तन की तीक्ष्ण तपन,वो दिल के ज़ज़्बात लिखेगी॥
मिलेगा जब तेरे दिल का अंश, दंश दिल का मिट जायेगा ।
दर्दो-ग़म से भरा ये ज़हां, मन से विस्मृत हो जायेगा ॥
तेरे खत में लिखा हर लब्ज़, तेरी धड़कन सुनायेगा ।
कुछ पल के लिये तेरा खत, दवा दिल की बन जायेगा ॥
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