मेरे रोम–रोम में सावन सा छा जाता है
तेरे हुश्न के निखार का खयाल, जब दिल में आता है ।
मेरे बदन के रोम रोम में, सावन
सा छा जाता है ॥
तेरी अज़नबी अदाएं, बनकर तस्वीर
घूमती हैं।
मेरे
मन की कल्पनाएं, तुम्हें अनगिनत बार चूमती
है॥
मेरा दिल लगता है तड़पने, तेरा सामिप्य पाने को ।
तेरी ज़ुल्फों में हाथ डालकर, आँखों से आँख मिलाने को॥
पर जब तुम पास में होती हो, रुक जाती है मेरी सांसें।
मिल नही पाती नज़रों से नज़र, झुक जाती है क्यूँ आँखें॥
ये कितना नाज़ुक रिश्ता है, कुछ मेरे समझ नहीं आता है।
तेरे हुश्न के निखार का खयाल, जब दिल में आता है
।।
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