अनोखे एहसास
रविवार, 11 दिसंबर 2016
तेरी यादों को याद कर-कर के,
मैं जी रहा हूँ रोज मर-मर के ।
तेरी यादों कोई कतरा कहीं, मिल जाए,
मैं जल रहा हूँ रोज जल -जल के॥
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